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महिला शक्ति की मिसाल- एनडीए से निकला पहला महिला बैच – Rant Raibaar

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2022 में शामिल हुई थीं, अब बनेंगी तीनों सेनाओं की अधिकारी

पुणे। पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में शुक्रवार को इतिहास रचा गया, जब पहली बार महिला कैडेट्स का एक बैच ट्रेनिंग पूरी कर पास आउट हुआ। इस बैच में 17 महिला कैडेट्स समेत कुल 300 से अधिक कैडेट्स शामिल थे। ये NDA का पहला सह-शिक्षा बैच था, जिसने खड़कवासला में स्थित खेत्रपाल परेड ग्राउंड में ‘अंतिम पग’ की शानदार परेड के साथ अपनी ट्रेनिंग पूरी की।

समारोह में बतौर समीक्षा अधिकारी मिजोरम के राज्यपाल और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह मौजूद थे। उन्होंने इस उपलब्धि को महिला सशक्तिकरण और रक्षा बलों में समावेशिता की दिशा में मील का पत्थर बताया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिला मौका
2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर UPSC ने महिलाओं के लिए NDA के दरवाज़े खोले थे। इसके बाद 2022 में महिलाओं का पहला बैच 148वें कोर्स के तहत NDA में शामिल हुआ। इस बैच की परेड की अगुवाई कैडेट कैप्टन उदयवीर नेगी ने की।

जनरल सिंह ने महिला कैडेट्स की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे देश की “नारी शक्ति” का प्रतीक हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में इनमें से कोई एक महिला अफसर तीनों सेनाओं में शीर्ष पद तक पहुंचेगी।

339 कैडेट्स को मिली डिग्रियां
इस दीक्षांत समारोह में कुल 339 कैडेट्स को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU), दिल्ली से स्नातक की डिग्रियां प्रदान की गईं। इनमें:

84 को B.Sc

85 को कंप्यूटर साइंस

59 को बीए (BA)

111 को B.Tech की डिग्री मिली।

महिला कैडेट्स बनीं प्रेरणा की मिसाल
दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि इन महिला कैडेट्स ने ना केवल खुद के लिए, बल्कि देश की लाखों बेटियों के लिए रास्ता खोला है। उन्होंने उन्हें “परिवर्तन की मशाल” बताते हुए उनके साहस और प्रतिबद्धता की सराहना की।

अव्वल रहे ये कैडेट्स
साइंस स्ट्रीम में कैडेट लकी कुमार प्रथम रहे।

कंप्यूटर साइंस में प्रिंस कुमार सिंह कुशवाह ने टॉप किया।

आर्ट्स स्ट्रीम में श्रीति दक्ष (महिला कैडेट्स में से एक) अव्वल रहीं।

बीटेक स्ट्रीम में उदयवीर सिंह नेगी ने पहला स्थान पाया।

अब होंगी देश की रक्षक
दो साल की कठोर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ये 17 महिला कैडेट्स अब थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करेंगी। यह ऐतिहासिक उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।

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