राष्ट्रीय

कांग्रेस का आरोप, उत्तराखंड को भाजपा सरकार ने बना दिया मदिरा प्रदेश

शराब में ओवर रेटिंग से हो रही खुली लूट, आबकारी विभाग माफिया के हवाले -धस्माना

देहरादून। पिछले विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में उत्तराखंड को धीरे धीरे मद्यनिषेध की ओर ले जाने का वादा करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश से मदिरा प्रदेश में तब्दील कर दिया है। पूरे प्रदेश में कदम कदम पर शराब की दुकान खोल दी गई है जिससे राज्य का युवा नौजवान बर्बाद हो रहा है। सरकार एक ओर अपना खजाना शराब की कमाई से भर रही है और भाजपा नेताओं व सरकार में शामिल ओहदेदारों की जेब शराब की ओवर रेटिंग की काली कमाई से भर रही है।

यह आरोप आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में लगाया। प्रदेश सरकार की आबकारी नीति पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि विदेशी शराब की दुकान थोक के भाव खोली जा रही हैं और अकेले देहरादून में अब तक रेगुलर टैंडर प्रक्रिया से खुलने वाली शराब की दुकानों के अतिरिक्त पैंसठ नई विदेशी शराब की दुकानें खोली जा चुकी हैं और पचास से ज्यादा नई दुकानें खोलने की तैयारी है।

पंद्रह लाख रुपए लाइसेंस फीस के अलावा इतनी ही रकम रिश्वत के रूम में वसूली जा रही है। धस्माना ने कहा कि प्रदेश की लगभग सभी देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानों से शराब के निर्धारित दामों से अधिक पैसा ग्राहकों से वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रति माह देसी साढ़े तीन लाख पेटी शराब, अंग्रेजी की चार लाख पेटी व बियर की चार लाख पेटी की बिक्री होती है । धस्माना ने कहा कि प्रति माह पच्चीस करोड़ रुपए ओवररेटिंग से अवैध तरीके से वसूले जा रहे हैं। धस्माना ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश का एक शराब माफिया पूरे आबकारी विभाग को चला रहा है।

धस्माना ने कहा कि यह व्यक्ति वह आबकारी विभाग के अधिकारियों की तैनाती से लेकर एफ एल टू और शराब की हर नीति का निर्धारण कर रहा है। धस्माना ने आरोप लगाया कि शराब की ओवर रेटिंग की कमाई की वसूली करने वाला यह व्यक्ति अगली शराब नीति में पुराने ठेकों को रिन्यूअल के नाम पर भी ठेकेदारों से भरी रकम वसल कर रहा है। धस्माना ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग करती है कि राज्य में शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग पर तत्काल रोक लगाई जाए और शराब नीति को प्रभावित करने वाले व आबकारी विभाग पर अवैधानिक तरीके से हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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